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तत्वों का आवर्त वर्गीकरण (Periodic classification of elements)

 

तत्वों का आवर्त वर्गीकरण (Periodic classification of elements)


आवर्ती वर्गीकरण (Periodic Classification): किसी मौलिक गुण को आधार बनाकर की गई पदार्थों की ऐसी व्यवस्था जिसमें निश्चित अंतराल के बाद समान गुण वाले पदार्थ पुनः उपस्थित हों, आवर्ती व्यवस्था या आवर्ती वर्गीकरण कहलाती है। तत्वों के वर्गीकरण का मुख्य उद्देश्य समान गुणों वाले तत्वों को एक वर्ग में रखकर रसायनशास्त्र के अध्ययन को सरल, सुविधाजनक, सुस्पष्ट एवं क्रमबद्ध बनाना है।

तत्वों के वर्गीकरण का इतिहास: 19वीं शताब्दी में तत्वों के वर्गीकरण के कई प्रयास किये गए जिनमें प्राउट की परिकल्पना, डोबरेनर का त्रिक सिद्धांत, डूमा की सममूलक श्रेणी, न्यूलैण्डस का अष्टक नियम, लोथर-मेयर का परमाणु आयतन तथा परमाणु भार वक्र, मेडलीफ का आवर्त नियम आदि प्रमुख हैं। तत्वों के वर्गीकरण के इन प्रारम्भिक प्रयासों में तत्वों के परमाणु भार (Atomic weight) को वर्गीकरण का आधार बनाया गया।

लेकिन डोबरेनर का त्रिक सिद्धांत कुछ ही तत्वों तक सीमित रहने के कारण विश्वव्यापी मान्यता प्राप्त नहीं कर सका। अतः कुछ समय पश्चात् तत्वों के वर्गीकरण की यह पद्धति त्याग दी गई। डूमा के विचार को भी व्यापक मान्यता नहीं मिल सकी और अंततः इसे भी त्याग दिया गया। न्यूलैंड्स द्वारा किए गए तत्वों के वर्गीकरण की पद्धति में अनेक त्रुटियाँ सामने आई जिस कारण यह नियम अधिक प्रचलित नहीं हो सका और आगे चलकर इसे त्याग दिया गया।

अष्टक नियम के दोष

  1. यह अधिक परमाणु भार वाले तत्वों पर लागू नहीं होता है।
  2. अक्रिय गैसों की खोज हो जाने पर नवम् तत्व प्रथम तत्व के समान गुण वाला होता न कि आठवें तत्व के।

मेंडलीफ द्धारा तत्वों का वर्गीकरण: 19वीं शताब्दी के मध्य में महान् रशियन वैज्ञानिक डी० आई० मैंडलीफ ने तत्वों तथा उनके यौगिकों के तुलनात्मक अध्ययन से एक नियम प्रस्तुत किया, जिसे मैंडलीफ का आवर्त नियम कहते हैं। इस नियम के अनुसार- तत्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण उनके परमाणु भारों के आवर्त फलन होते हैं। दूसरे शब्दों में, यदि तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु भारों के क्रम में सजाया जाए, तो उनकी एक निश्चित संख्या के बाद लगभग समान गुण वाले तत्व पाये जाएँगे।

मैंडलीफ ने उस समय तक ज्ञात तत्वों को अपने आवर्त नियम के अनुसार एक सारणी के रूप में श्रृंखलाबद्ध किया जिसे आवर्त सारणी (Periodic Table) कहते हैं। मैंडलीफ की आवर्तसारणी में उदग्र (vertical) तथा क्षैतिज (Horizontal) दो प्रकार की कतारें हैं। उदग्र कतारों को वर्ग (Groups) तथा क्षैतिज कतारों को आवर्त (Periods) कहते हैं। मैंडलीफ द्वारा निर्मित आवर्त सारणी में 9 वर्ग तथा 7 आवर्त हैं। मैंडलीफ के समय तक ज्ञात तत्वों की संख्या 63 थी, उस समय अक्रिय गैसों का आविष्कार नहीं हो पाया था। मैंडलीफ ने बहुतेरे अज्ञात तत्वों के लिए अपने आवर्त सारणी में रिक्त स्थान छोड़ दिए थे।

मैंडलीफ की आवर्त सारणी के गुण

मैंडलीफ की आवर्त सारणी में वह सबकुछ है, जो एक सफल वर्गीकरण में होना चाहिए। इसके प्रमुख गुण निम्नांकित हैं-1. तत्वों के अध्ययन में सुविधा

  1. नए तत्वों की भविष्यवाणी
  2. अनुसंधान कार्य में सहायता
  3. संशयात्मक परमाणु भारों का संशोधन
  4. तत्वों के यौगिकों की प्रकृति की जानकारी
  5. तत्वों की संयोजकता संबंधी निर्णय

मेंडलीफ की आवर्त सारणी के दोष

मैंडलीफ द्वारा निर्मित आवर्त सारणी के प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं-

  1. आवर्त सारणी में हाइड्रोजन का स्थान विवादपूर्ण है।
  2. आवर्त सारणी में समस्थानिकों (Isotopes) के लिए कोई स्थान नियत नहीं है।
  3. कुछ समान गुण वाले तत्वों (जैसे- Cu एवं Hg, Ag एवं TI, Au एवं Pt तथा Ba एवं Pb) को आवर्त सारणी के अंदर भिन्न-भिन्न वर्गों में रखा गया है।
  4. आवर्त सारणी में तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु भारों के क्रम में रखा गया है, किन्तु कुछ स्थितियों में इस नियम का पालन नहीं हो पाया है। अधिक वाले तत्वों को कम परमाणु भार वाले तत्वों के पहले रखा गया है, जैसे- आयोडीन (126.92) को टेल्यूरियम (127.61) के बाद रखा गया है।
  5. आठवें वर्ग में तीन-तीन तत्वों को एक साथ रखा गया है, इससे आवर्त सारणी में अनियमितता उत्पन्न हो जाती है।
  6. दुर्लभ मृदा तत्वों को एक ही साथ वर्ग IIIA में रखा गया है।
  7. मैंडलीफ की आवर्त सारणी में धातु एवं अधातु तत्वों के बीच कोई स्पष्ट विभाजन रेखा नहीं है ।

आधुनिक आवर्त नियम (Modern Periodic Law): परमाणु संरचना के अध्ययन के संदर्भ में ब्रिटिश वैज्ञानिक मोसले (Mosley) ने 1913 ई० में तत्वों के एक नए विशिष्ट गुण की खोज की। इसका नाम उन्होंने परमाणु संख्या (Atomic Number) दिया। उन्होंने बताया कि किसी तत्व की परमाणु संख्या उस तत्व के एक परमाणु में उपस्थित प्रोटॉनों या इलेक्ट्रॉनों की संख्या के समान होती है। किसी तत्व के लिए परमाणु संख्या का मान स्थिर होता है। किन्हीं दो तत्वों की परमाणु संख्या एक नहीं होती है। अतः परमाणु संख्या ही किसी तत्व का मौलिक गुण है न कि परमाणु द्रव्यमान। अतः मैंडलीफ के पश्चात् परमाणु संख्या को आधार मानकर तत्वों के वर्गीकरण के प्रयास किए गए। आधुनिक आवर्त नियम परमाणु संख्या पर ही आधारित है। आधुनिक आवर्त नियम के अनुसार- तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण उनकी परमाणु संख्या के आवत फलन होते हैं। आधुनिक आवर्त नियम के प्रतिपादन से मैंडलीफ की आवर्त सारणी के अधिकांश दोष दूर हो जाते हैं। इलेक्ट्रॉनिक विन्यास तत्वों के आधुनिक आवर्ती वर्गीकरण का मूल आधार है।

आधुनिक आवर्त सारणी में 7 क्षैतिज कतारें (अर्थात् आवर्त) तथा 18 उदग्र स्तम्भ (अर्थात् वर्ग) हैं, प्रत्येक आवर्त का प्रथम सदस्य क्षार धातु तथा अंतिम सदस्य कोई निष्क्रिय गैस (Inert gas) होता है। पहले आवर्त का प्रथम सदस्य सिर्फ हाइड्रोजन (H) है।

परमाणु संख्या 58 से लेकर 71 तक तथा 90 से लेकर 103 तक वाले तत्वों की आवर्त सारणी के नीचे अलग-अलग कतारों में शेष तत्व रखा गया है।

आवर्ततत्वों की संख्या
12
28
38
418
518
632
7शेष तत्व

मैंडलीफ की आवर्त सारणी और आधुनिक आवर्त सारणी में अंतर

मैंडलीफ की आवर्त सारणीआधुनिक आवर्त सारणी
1. मैंडलीफ की आवर्त सारणी में तत्वों को उनके परमाणु भार के बढ़ते क्रम में सजाकर तैयार किया गया है।1. आधुनिक आवर्त सारणी में तत्वों को उनके परमाणु संख्या के बढ़ते क्रम में सजाकर तैयार किया गया है।
2. इसमें कुल 9 वर्ग हैं।2. इसमें कुल 18 वर्ग हैं।
3. इस आवर्त सारणी में धातु एवं अधातु तत्वों के बीच स्पष्ट विभाजन रेखा नहीं है।3. इस आवर्त सारणी में धातु एवं अधातु तत्वों के स्थान अलग-अलग हैं एवं इनके बीच स्पष्ट विभाजन रेखा खीची जा सकती है ।
4. इस आवर्त सारणी में सामान्य तत्व एवं संक्रमण तत्व अलग-अलग नहीं प्रदर्शित किए गए हैं।4. इस आवर्त सारणी में सामान्य तत्व एवं संक्रमण तत्व अलग-अलग प्रदर्शित किए गए हैं।
5. आवर्त सारणी तैयार करते समय मैंडलीफ को तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास की जानकारी नहीं थी। अतः इस आवर्त सारणी में तत्वों की सजावट का आधार इलेक्ट्रॉनिक विन्यास नहीं है।5. आधुनिक आवर्त सारणी (दीर्घ रूप) का निर्माण तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर किया गया है ।

आवर्त की विशेषताएं

  1. आवर्त सारणी के किसी आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर तत्व का धातुई गुण कम होता जाता है तथा अधातुई गुण में वृद्धि होती है।
  2. आवर्त सारणी के किसी आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर तत्व की रासायनिक क्रियाशीलता घटती है और बाद में बढ़ती है।
  3. किसी आवर्त में तत्वों की संयोजकता 1 से बढ़कर 4 हो जाती है, तथा उसके बाद घटते-घटते शून्य हो जाती है।
  4. किसी आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या 1 से बढ़कर 8 हो जाती है।
  5. आवर्त सारणी में किसी आवर्त में इलेक्ट्रॉन-प्रीति का मान बाएँ से दाएँ जाने पर प्रायः बढ़ता है।
  6. आवर्त सारणी के किसी आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर विद्युत् ऋणात्मकता का मान क्रमशः बढ़ता जाता है।
  7. आवर्त सारणी के किसी आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर आयनन विभव का मान बढ़ता है।
  8. आवर्त सारणी के किसी आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर परमाणु आकार या परमाणु त्रिज्या घटता है।
  9. आवर्त सारणी के किसी आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर तत्वों के ऑक्साइडों के भास्मिक गुण (Basic Nature) क्रमशः घटते जाते हैं।

वर्ग की विशेषताएँ

  1. आवर्त सारणी के किसी वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर तत्व के धातुई गुण में वृद्धि होती है।
  2. धातुओं के वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर धातुओं की क्रियाशीलता बढ़ती है, जबकि अधातुओं के वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर अधातुओं की रासायनिक क्रियाशीलता घटती है।
  3. 3. किसी एक वर्ग के तत्वों की संयोजकता समान होती है।
  4. किसी एक वर्ग के सभी तत्वों में संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है।
  5. आवर्त सारणी के किसी वर्ग में इलेक्ट्रॉन प्रीति का मान ऊपर से नीचे आने पर घटता है।
  6. आवर्त सारणी के किसी वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर विद्युत् ऋणात्मकता का मान प्रायः घटता जाता है।
  7. आवर्त सारणी के किसी वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर आयनन विभव का मान घटता है।
  8. आवर्त सारणी के किसी वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर परमाणु का आकार या परमाणु की त्रिज्या का मान बढ़ता है।

तत्वों से संबंधित प्रमुख जानकारी

कुल ज्ञात तत्व118
प्रकृति में प्राप्य तत्व98
कृत्रिम तरीके से निर्मित तत्व20
धातु तत्वों की संख्या91
अधातु तत्वों की संख्या27
पृथ्वी पर सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला तत्वऑक्सीजन
पृथ्वी पर सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला धातु तत्वऐलुमिनियम
सबसे हल्का तत्वहाइड्रोजन
सबसे भारी तत्वअस्मियम
सबसे हल्का धातु तत्वलीथियम
द्रव धातु तत्वपारा
द्रव अधातु तत्वब्रोमीन
विद्युत् का सबसे अच्छा सुचालक तत्वचाँदी
विद्युत् का सुचालक अधातुग्रेफाइट
सबसे अधिक आघातवर्धनीय तत्वसोना
सबसे अधिक क्रियाशील अधातु तत्वफ्लोरीन
सबसे अधिक क्रियाशील धातु तत्वसीजियम
सर्वाधिक आयनन विभव वाला तत्वहीलियम
न्यूनतम आयनन विभव वाला तत्वसीजियम
सर्वाधिक इलेक्ट्रॉनिक प्राप्ति वाला तत्वक्लोरीन
सर्वाधिक विद्युत् ऋणात्मक तत्वफ्लोरीन
सबसे प्रबल ऑक्सीकारक पदार्थफ्लोरीन
सर्वाधिक गैसीय तत्वों वाला वर्गशून्य वर्ग
एक परमाण्विक तत्वअक्रिय गैसें
मानव शरीर में सर्वाधिक मात्रा में पाये जाने वाला तत्वऑक्सीजन
मिट्टी के तेल में रखा जाने वाला तत्वसोडियम
हड्डियों एवं दांतों का निर्माण करने वाला प्रमुख तत्वकैल्सियम

 



  • परमाणु संरचना (Atomic structure)
  • गैसों के नियम (Gases law)
  • तत्वों का आवर्त वर्गीकरण (Periodic classification of elements)
  • रासायनिक बंधन (Chemical bond)
  • ऑक्सीकरण एवं अवकरण (Oxidation and degradation)
  • अम्लक्षार एवं लवण (Acids, Bases and Salts)
  • विलयन (solution)
  • कार्बन तथा उसके यौगिक (Carbon and its compounds)
  • ईंधन के प्रकार (Types of fuel)
  • उत्प्रेरक क्या है? what is Catalyst ?
  • धातु और गैर धातु क्या है ? what is Metals and non metals
  • मानव निर्मित पदार्थ ? Man made material ?
  • रसायन विज्ञान की महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर  (Important Chemistry Questions)
  • अन्य जानकारी

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    परमाणु संरचना (Atomic structure)

      परमाणु संरचना (Atomic structure)      परमाणु, तत्व का वह सबसे छोटा कण है, जो किसी रासायनिक क्रिया में भाग ले सकता है लेकिन स्वतंत्र रूप से नहीं रह सकता है | द्रव, ठोस व गैस सभी पदार्थों का निर्माण परमाणुओं (Atoms) से ही होता है | परमाणु आपस में मिलकर अणुओं (Molecules) का निर्माण करते हैं | तत्व या यौगिक का वह सबसे छोटा कण है, जो स्वतंत्र अवस्था में रह सकता है अणु कहलाता है | परमाणु, तत्व का वह सबसे छोटा कण है, जो किसी रासायनिक क्रिया में भाग ले सकता है लेकिन स्वतंत्र रूप से नहीं रह सकता है | द्रव, ठोस व गैस सभी पदार्थों का निर्माण परमाणुओं (Atoms) से ही होता है | परमाणु आपस में मिलकर अणुओं (Molecules) का निर्माण करते हैं | तत्व या यौगिक का वह सबसे छोटा कण है, जो स्वतंत्र अवस्था में रह सकता है अणु कहलाता है | परमाणु ग्रीक भाषा का शब्द है जिसका मतलब होता है “जिसे तोडा न जा सके ” , क्योंकि जब परमाणु की खोज हुई थी तब इसे सबसे छोटा कण माना गया था और माना गया था की परमाणु को तोडा नहीं जा सकता अर्थात इसी से सब चीजो का निर्माण हुआ है , यह सबसे छोटी इकाई माना गया। लेकिन बाद में जब इलेक्ट्रान

    अम्ल, क्षार एवं लवण (Acids, Bases and Salts)

      अम्ल, क्षार एवं लवण (Acids, Bases and Salts) किसी भी भोजन का अच्छा स्वाद हमारे जिंदगी को भी स्वादिष्ट बना देता है। सभी प्रकार के भोजन में कोई न कोई taste अवश्य होता है। ये स्वाद या तो खट्टे, मीठे या नमकीन होते हैं। भोजन में खट्टेपन का स्वाद उसमें Acid की उपस्थिति के कारण होता है, जबकि भोजन का नमकीन स्वाद उसमें उपस्थित Salt के कारण होता है। Cold drinks का bitter स्वाद उसमें उपस्थित Base के कारण होता है। अर्थात भोजन का तरह तरह का स्वाद उसमें acid, salt, या base की उपस्थिति के कारण होता है। Acids (अम्ल) Acids का स्वाद खट्टा (sour) होता है। इसी कारण भोजन या फल का स्वाद खट्टा होने का कारण उसमें acids की मौजूदगी के कारण होता है। Example (उदाहरण): Lemon (नींबु), curd (दही), tamarind (ईमली), unripe fruits (कच्चे फल) आदि कुछ सामान्य भोज्य पदार्थ हैं, जो प्राय: रोज घरों में उपयोग किये जाते हैं। इन सभी का स्वाद खट्टा होता है क्योंकि इन सभी में acid (अम्ल) पाये जाते हैं। रासायनिक पदार्थ जिन्हें उनके खट्टे स्वाद के कारण पहचाना जा सकता है, अम्ल (ACID) कहलाते हैं। Types of Acids: (अम्ल के प्रकार) श

    रासायनिक बंधन क्या होता है ? यहाँ जाने | what is Chemical bond ? Know here

      रासायनिक बंधन (Chemical bond) किसी अणु में परमाणुओं को बांधकर एक साथ रखने वाले बल को रासायनिक बंधन (Chemical bonding) कहते हैं जैसे हाइड्रोजन के दो परमाणु ऑक्सीजन की एक परमाणु के साथ रासायनिक बंध द्वारा जुड़कर जल का निर्माण करता है। रसायनिक बंधन की व्याख्या 1916 में Walther Kossel और Gilbert N. Lewis के द्वारा किया गया। Chemical Bond तीन प्रकार के होते होते हैं 1. विद्युत संयोजक बंध (Electrovalent bond) दो परमाणुओं के मध्य इलेक्ट्रॉन की स्थांतरण से बने बंध को electrovalent bond कहते हैं। यह विद्युत संयोजक बंधन और ऋण आवेश से बने होते हैं, द्रवणांक और क्वथनांक उच्च होता है, विद्युत आकर्षण बल से जुड़े होते हैं, ठोस अवस्था में विद्युत का कुचालक होते हैं विद्युत संयोजक बंध दिशाहीन होते हैं, जल में घुलनशील होते हैं, परंतु कार्बनिक घोल में अघुलनशील होते हैं तथा बहुत ही तेजी से रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेते हैं। 2. सहसंयोजक बंध ( Covalent bond ) ऐसा रसायनिक बंधन जिनका निर्माण दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉन के साझेदारी के कारण होता है उन्हें co-valent bond कहते हैं। जब दो परमाणुओं के बीच परम

    रसायन विज्ञान का अर्थ (Meaning of chemistry)

                    रसायन विज्ञान (केमिस्ट्री) विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत पदार्थों के गुण, संघटन, संरचना और उनमें होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है. केमिस्ट्रीअर्थात रसायन विज्ञान शब्द की उत्पत्ति मिस्र के प्राचीन शब्द कीमिया से हुई जिसका अर्थ है काला रंग. मिश्र के लोग काली मिट्टी को केमी कहते थे और प्रारंभ में रसायन विज्ञान के अध्ययन को केमीटेकिंग कहा जाता था. Lavoisier को रसायन विज्ञान का जनक कहा जाता है

    उत्प्रेरक क्या है? what is Catalyst ?

      उत्प्रेरक क्या है? what is Catalyst ? उत्प्रेरक का अर्थ या परिभाषा: उत्प्रेरक उस पदार्थ को कहते हैं जो किसी रासायनिक क्रिया के वेग को बदल दे, परंतु स्वयं क्रिया के अंत में अपरिवर्तित रहता है, अत: उसे पुन: काम में लाया जा सकता है। अधिकांश क्रियाओं में उत्प्रेरक प्रतिक्रिया की गति को बढ़ा देता है। ऐसे उत्प्रेरकों को धनात्मक उत्प्रेरक कहते है; परंतु कुछ ऐसे भी उत्प्रेरक है जो रासायनिक क्रिया की गति को मंद कर देते हैं। ऐसे उत्प्रेरक ऋणात्मक उत्प्रेरक कहलाते हैं। औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण रसायनों के निर्माण में उत्प्रेरकों की बहुत बड़ी भूमिका है क्योंकि इनके प्रयोग से अभिक्रिया की गति बढ जाती है जिससे अनेक प्रकार से आर्थिक लाभ होता है और उत्पादन तेज होता है। इसलिये उत्प्रेरण के क्षेत्र में अनुसंधान के लिये बहुत सा धन एवं मानव श्रम लगा हुआ है। उत्प्रेरक की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं: क्रिया के अंत में उत्प्रेरक अपरिवर्तित बच रहता है। उसके भौतिक संगठन में चाहे जो परिवर्तन हो जाएँ, परंतु उसके रासायनिक संगठन में कोई अंतर नहीं होता। उत्प्रेरक पदार्थ की केवल थोड़ी मात्रा ही पर्याप्त होती ह

    ऑक्सीकरण एवं अवकरण (Oxidation and degradation)

      ऑक्सीकरण एवं अवकरण (Oxidation and degradation) ऑक्सीकरण ( Oxidation)-  ऑक्सीकरण वह रासायनिक प्रक्रिया है, जिसके फलस्वरूप किसी तत्व या यौगिक में विद्युत् ऋणात्मक परमाणुओं या मूलकों का अनुपात बढ़ जाता है अथवा किसी यौगिक में विद्युत् धनात्मक परमाणुओं या मूलकों का अनुपात कम हो जाता है। उदाहरण- 2Mg + O 2  → 2MgO C + O 2  → CO 2 2H 2  + O 2  → 2H 2 O Cu + Cl 2  → CuCl 2 , H 2  + I 2  → 2HI 2FeCl 2  + Cl 2  → 2FeCl 3 अवकरण ( Reduction):  अवकरण वह रासायनिक प्रक्रिया है, जिसके फलस्वरूप किसी तत्व या यौगिक में विद्युत् धनात्मक परमाणुओं या मूलकों का अनुपात बढ़ जाता है अथवा किसी यौगिक में विद्युत् ऋणात्मक परमाणुओं या मूलकों का अनुपात कम हो जाता है। उदाहरण- Cl 2  + H 2 S → 2HCl + S 2FeCl 3  + 2 FeCl 2  + 2HCl आयनिक सिद्धान्त के आधार पर ऑक्सीकरण एवं अवकरण की परिभाषा ऑक्सीकरण ( Oxidation):   ऑक्सीकरण वह प्रक्रिया है, जिसके फलस्वरूप किसी आयन पर धन आवेश बढ़ जाता है या ऋण आवेश कम हो जाता है। उदाहरण- फेरस क्लोराइड (FeCl 2 ) से फेरिक क्लोराइड (FeCl 3 ) के बनने में फेरस आयन (Fe ++ ) बदलकर फेरिक आयन (Fe ++

    रसायन विज्ञान की महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर (Important Chemistry Questions)

      रसायन विज्ञान की महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर  (Important Chemistry Questions) 1. आतिशबाजी में हरा रंग किसकी उपस्थिति के कारण होता है. उत्तर. बेरियम 2. कौन-सी धातु रोशनी के बल्बों के फिलामेंट के रूप में प्रयुक्त होती है . उत्तर. टंगस्टन 3. सामान्य ट्यूबलाइट (प्र्तिदिप्ती बल्ब ) में ऑर्गन के साथ कौन-सी गैस भरी जाती है . उत्तर. मरकरी वेपर 4. संस्पर्श प्रक्रम में किसको एक उत्प्रेरक के रूप में प्रयोग किया जाता है . उत्तर. वैनेडियम पेंटाक्साइड 5. कृतकनाशी (रोडेंटनाशी) में किसका प्रयोग किया जाता है . उत्तर. जिंक फॉस्फाइड 6. क्लोरीन हैलोजन सदस्य का उपयोग किसके रूप में होता है. उत्तर. कीटाणुनाशक 7. किस विधि द्वारा औद्योगिक पैमाने पर अमोनिया का उत्पादन किया जाता है. उत्तर. हैबर विधि 8. किसने सर्वप्रथम आवर्त सारणी का निर्माण किया. उत्तर. मेंडेलीफ वैज्ञानिक 9. नाभिक से निकलने वाले विकिरणों में किसकी वेधन क्षमता सर्वाधिक होती है. उत्तर. गामा किरणों 10. फोटोग्राफी में किस योगिक प्रयोग किया जाता है. उत्तर. सिल्वर ब्रोमाइड रासायनिक 11. कृत्रिम वर्षा कराने में किसका प्रयोग किया जाता है. उत्तर. सिल्वर आयो