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धातु और गैर धातु क्या है ? What is metals and non metals ?

धातु और गैर धातु क्या है ? what is Metals and non metals?


धातु

सायनशास्त्र के अनुसार धातु (metals) वे तत्व हैं जो सरलता से इलेक्ट्रान त्याग कर धनायन बनाते हैं और धातुओं के परमाणुओं के साथ धात्विक बंध बनाते हैं। इलेक्ट्रानिक मॉडल के आधार पर, धातु इलेक्ट्रानों द्वारा आच्छादित धनायनों का एक लैटिस हैं। धातुओं की पारम्परिक परिभाषा उनके बाह्य गुणों के आधार पर दी जाती है। सामान्यतः धातु चमकीले, प्रत्यास्थ, आघातवर्धनीय और सुगढ होते हैं। धातु उष्मा और विद्युत के अच्छे चालक होते हैं जबकि अधातु सामान्यतः भंगुर, चमकहीन और विद्युत तथा ऊष्मा के कुचालक होते हैं।

रासायनिक तत्वों को सर्वप्रथम धातुओं और अधातुओं में विभाजित किया गया, यद्यपि दोनों समूहों को बिल्कुल पृथक्‌ नहीं किया जा सकता था। धातु की परिभाषा करना कठिन कार्य है। मोटे रूप से हम कह सकते हैं कि यदि किसी तत्व में निम्नलिखित संपूर्ण या कुछ गुण हों तो उसे धातु कहेंगे :

  • चमक,
  • परांधता,
  • साधारण ताप पर ठोस,
  • स्वच्छ सतह द्वारा प्रकाश के परावर्तन (Reflection) का गुण,
  • ऊष्मा एवं विद्युत्‌ की उत्तम चालकता, एवं
  • द्रव अवस्था से ठंण्डा करने पर क्रिस्टल रूप में ठोस पदार्थ का बनना।

    उपधातु

    वे तत्व जिनमें धातु तथा अधातु दोनों के गुण पाए जाते हैं उन्हें उपधातु (Metalloid) कहते हैं। बोरान, सिलिकान, जर्मेनियम, आर्सेनिक, एण्टीमनी और टेल्युरियम - ये छः प्रायः उपधातु कहे जाते हैं। कार्बन, अल्मुनियम, सेलेनियम, पोलोनियमऔर एस्टेटीन (astatine) को भी कुछ सीमा तक उपधातु कहा जाता है।

    1- उपधातुएँ प्राय: एम्फोटेरिक आक्साइड बनाती हैं। एम्फोटेरिक पदार्थ उन्हें कहते हैं जो अम्ल और क्षार दोनो की ही तरह अभिक्रिया कर सकते हैं।

    2- उपधातुएँ प्राय: अर्धचालकता का गुण प्रदर्शित करती हैं।

    कभी-कभी उपधातु और अर्धचालक को एक ही समझने की गलती हो जाती है। यद्यपि दोनों में कुछ-कुछ समानता है किन्तु दोनों अलग-अलग हैं। उपधातुओं का कांसेप्ट आवर्त सारणी में एक विशेष स्थिति को प्रदर्शित करता है, जबकि अर्धचालकता तत्वों के अलावा मिश्रधातुओं में भी पायी जाती है।

    अधातु

    अधातु (non-metals) रासायनिक वर्गीकरण में प्रयुक्त होने वाला एक शब्द है। आवर्त सारणी का प्रत्येक तत्व अपने रासायनिक और भौतिक गुणों के आधार पर धातु अथवा अधातु श्रेणी में वर्गीकृत किया जा सकता है। (कुछ तत्व जिनमें दोनों के गुण पाये जाते हैं उन्हें उपधातु (metaloid) की श्रेणी में रखा जाता है।) आवर्त सारणी में ये 14वें (XIV) से लेकर 18वें (XVIII) समूह में दाहिने-ऊपरी कोने में स्थित हैं। इसके अलावा प्रथम समूह में सबसे उपर स्थित उदजन भी अधातु है। हाइड्रोजन के अलावा जारक, प्रांगार, भूयाति, गंधक, भास्वर, हैलोजन, तथा अक्रिय गैसें अधातु मानी जाती हैं। प्रायः आवर्त सारणी के केवल18 तत्व अधातु की श्रेणी में गिने जाते हैं जबकि धातु की श्रेणी में 80 से भी अधिक तत्व आते हैं। फिर भी पृथ्वी के गर्भ का, वायुमण्डल और जलमण्डल का अधिकांश भाग अधातुएँ ही हैं। जीवों की संरचना में भी अधातुओं का ही अधिकांशता है। वैसे 'अधातु' की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है। फिर भी मोटे तौर पर अधातुओं के निम्नलिखित गुण हैं : -

  • धातुओं की तुलना में कम विद्युत चालकता
  • धातुओं की तुलना में कम ऊष्मा चालकता
  • अधातुएँ अम्लीय आक्साइड बनाती हैं। (जबकि धातुएँ क्षारीय आक्साइड बनाती हैं।)
  • जो अधातुएँ ठोस हैं, वे भी भंगुर (ब्रिटल) और चमकहीन होती हैं।
  • अधातुओं का घनत्व कम होता है।
  • अधातुओं का क्वथनांक और गलनांक धातुओं से काफी कम होता है।
  • अधातुओं की एलेक्ट्रान बंधुता सर्वाधिक होती है (अक्रिय गैसें अपवाद हैं।

    क्षारीय पार्थिव धातु

    क्षारीय पार्थिव धातुएँ (alkaline earth metals) आवर्त सारणी के समूह-२ में स्थित रासायनिक तत्त्वों वह समूह है जिसमें बेरिलियम (Be), मैग्नेशियम (Mg), कैल्शियम (Ca), स्ट्रॉन्शियम (Sr), बेरियम (Ba) एवं रेडियम (Ra) हैं। प्रारंभ में रसायनज्ञ उन पदार्थों को मृदा कहते थे जो अधातुएँ थीं और जिनपर अत्यधिक ताप का कोई प्रभाव नहीं पड़ता था। इनमें कुछ पदार्थों (जैसे चूना) के गुण क्षारों के गुणों से बहुत मिलते जुलते थे। इससे उन्होंने उसे 'क्षारीय मृदा' नाम दिया। क्षारीय मृदा में चूना, स्ट्रॉन्शिया और बाराइटा 1807 ई. तक रासायनिक तत्व समझे जाते थे। हम्फ्री डेवी ने पहले पहल प्रमाणित किया कि ये वस्तुत: कैलसियम, स्ट्रॉन्शियम और बेरियम धातुओं के आक्साइड हैं।

    ये धातुएँ असंयुक्त दशा में नहीं पाई जाती। इनके दो प्रकार के आक्साइड बनते हैं। एक सामान्य आक्साइड, जो उष्माक्षेपण के साथ जल में घुलते हैं और दूसरे पेराक्साइड, जो जल में घुलकर हाइड्राक्साइड [R (OH)2] बनाते हैं और वायु में खुला रखने से कार्बन डाइ आक्साइड का अवशोषण करते हैं। धातुओं के दोनों ही आक्साइड समाक्षारीय होते हैं और अम्लों में शीघ्र घुलकर तदनुकूल लवण बनाते हैं। तत्वों के परमाणुभार की वृद्धि से हाइड्राक्साइडों की विलेयता बढ़ती जाती हैं, पर सल्फेटों की विलेयता घटती जाती है।

    क्षार धातुएँ

    आवर्त सारणी के तत्त्व लिथियम (Li), सोडियम (Na), पोटैशियम (K), रुबिडियम (Rb), सीजियम (Cs) और फ्रांसियम (Fr) के समूह को क्षार धातुएँ (Alkali metals) कहते हैं। यह समूह आवर्त सारणी के एस-ब्लॉक में स्थित है। क्षार धातुएँ समान गुण वाली हैं। वे सभी मुलायम, चमकदार तथा मानक ताप तथा दाब पर उच्च अभिक्रियाशील होती हैं तथा कोमलता के कारण एक चाकू से आसानी से काटी जा सकती हैं। चूंकि ये शीघ्र अभिक्रिया करने वाले हैं, अत: वायु तथा इनके बीच की रासायनिक अभिक्रिया को रोकने हेतु इन्हें तेल आदि में संग्रहित रखना चाहिये। यह गैर मुक्त तत्व के रूप में प्राकृतिक रूप से लवण में पाए जाते हैं। सभी खोजे गये क्षार धातुएँ अपनी मात्रा के क्रम में प्रकृति में पाए जाते हैं जिनमें क्रमवार सोडियम जो सबसे आम हैं, तथा इसके बाद पोटैशियम, लिथियम, रुबिडियम, सिज़ियम तथा अंतिम फ्रांसियम, फ्रांसियम अपने उच्च रेडियोधर्मिता के कारण सबसे दुर्लभ है।

    अवधि

    Period आधुनिक आवर्त सारणी में सात क्षैतिज पंक्तियाँ होती हैं जिन्हें अवधि और आर्वत कहते हैं।

    विशेषताएँ

    आवर्त सारणी के किसी अवधि में बाएँ से दाएँ जाने पर तत्त्व का धातुई गुण कम होता जाता है तथा अधातुई गुण में वृद्धि होती है। आवर्त सारणी के किसी अवधि में बाएँ से दाएँ जाने पर तत्त्व की रासायनिक क्रियाशीलता घटती है और बाद में बढ़ती है। किसी अवधि में तत्त्वों की संयोजकता 1 से बढ़कर 4 हो जाती है, तथा उसके बाद घटते-घटते शून्य हो जाती है। किसी अवधि में बाएँ से दाएँ जाने पर संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या 1 से बढ़कर 8 हो जाती है। आवर्त सारणी के किसी अवधि में इलेक्ट्रॉन-प्रीति का मान बाएँ से दाएँ जाने पर प्रायः बढ़ता है। आवर्त सारणी के किसी अवधि में बाएँ से दाएँ जाने पर विद्युत् ऋणात्मकता का मान क्रमशः बढ़ता जाता है। आवर्त सारणी के किसी अवधि में बाएँ से दाएँ जाने पर पर आयनन विभव का मान बढ़ता है। आवर्त सारणी के किसी अवधि में बाएँ से दाएँ जाने पर परमाणु आकार या परमाणु की त्रिज्या घटता है।

    अक्रिय

    अक्रिय गैस (Inert gas) उन गैसों को कहते हैं जो साधारणतः रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग नहीं लेतीं और सदा मुक्त अवस्था में प्राप्य हैं। इनमें हीलियम, निऑन, आर्गान,क्रिप्टॉन,जीनॉन और रेडॉन सम्मिलित हैं। इनमें से रेडॉन रेडियो-सक्रिय है। ये उत्कृष्ट गैसों (Noble gases) के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। समस्त अक्रिय गैसें रंगहीन, गंधहीन तथा स्वादहीन होती हैं। स्थिर दाब और स्थिर आयतन पर प्रत्येक गैस को विशिष्ट उष्माओं का अनुपात 1.67 के बराबर होता है जिससे पता चलता है कि ये सब एक-परमाणुक गैसें हैं।

    मिश्र धातु

    दो या अधिक धात्विक तत्वों के आंशिक या पूर्ण ठोस-विलयन को मिश्रातु या मिश्र धातु (Alloy) कहते हैं। इस्पात एक मिश्र धातु है। प्रायः मिश्र धातुओं के गुण उस मिश्रधातु को बनाने वाले संघटकों के गुणों से भिन्न होते हैं। इस्पात, लोहे की अपेक्षा अधिक मजबूत होता है। काँसा, पीतल, टाँका (सोल्डर) आदि मिश्रातु हैं।

    मिश्रधातु वह वस्तु है जिसमें धातु के सब गुण होते हैं। इसमें दो या दो से अधिक धातुएँ, या धातु और अधातु होती है, जो पिघली हुई दशा में एक दूसरे से पूर्ण रूप से घुली रहती हैं और ठोस होने पर स्पष्ट परतों में अलग नहीं होती।

    अपरूपता

    जब एक ही तत्व कई रूपों में मिलता है तो तत्व के इस गुण को अपरूपता (एलॉट्रोपी) कहते हैं और उसके विभिन्न रूपों को उस तत्व का अपरूप कहते हैं। जैसे कार्बन के विभिन्न अपरूप हीरा (डायमंड), ग्रेफाइट, कोयला (कोल), कोक, चारकोल या काष्ठकोयला, अस्थिकोयला (बोनब्लैक), काजल, कार्बन ब्लैक, गैस कार्बन और पेट्रोलियम कोक, तथा चीनी कोयला, इत्यादि हैं। कार्बन के अतिरिक्त आक्सीजन, गंधक, फॉस्फोरस आदि भी अपरूपों में पाए जाते हैं।

    संक्रमण धातु

    परमाणु संख्या 21 से 30, 39 से 48, 57 से 80 और 89 से 112 वाले रासायनिक तत्त्व संक्रमण तत्व (transition elements/ट्राँज़िशन एलिमेंट्स) कहलाते हैं। चूँकि ये सभी तत्त्व धातुएँ हैं, इसलिये इनको संक्रमण धातु भी कहते हैं। इनका यह नामआवर्त सारणी में उनके स्थान के कारण पड़ा है क्योंकि प्रत्येक पिरियड में इन तत्त्वों के d ऑर्बिटल में इलेक्ट्रान भरते हैं और 'संक्रमण' होता है। आईयूपीएसी (IUPAC) ने इनकी परिभाषा यह दी है- वे तत्त्व जिनका d उपकक्षा अंशतः भरी हो। इस परिभाषा के अनुसार, जस्ता समूह के तत्त्व संक्रमण तत्त्व नहीं हैं क्योंकि उनकी संरचना d10 है।

    समावयवी यौगिक

    रासायनिक यौगिकों का जब सूक्ष्मता से अध्ययन किया गया, तब देखा गया कि यौगिकों के गुण उनके संगठन पर निर्भर करते हैं। जिन यौगिकों के गुण एक से होते हैं उनके संगठन भी एक से ही होते हैं और जिनके गुण भिन्न होते हैं उनके संगठन भी भिन्न होते हैं। बाद में पाया गया कि कुछ ऐसे यौगिक भी हैं जिनके संगठन, अणुभार तथा अणु-अवयव एक होते हुए भी, उनके गुणों में विभिन्नता है। ऐसे विशिष्टता यौगिकों को समावयवी (Isomer, Isomeride) संज्ञा दी गई और इस तथ्य का नाम समावयवता (Isomerism) रखा गया।



  • परमाणु संरचना (Atomic structure)
  • गैसों के नियम (Gases law)
  • तत्वों का आवर्त वर्गीकरण (Periodic classification of elements)
  • रासायनिक बंधन (Chemical bond)
  • ऑक्सीकरण एवं अवकरण (Oxidation and degradation)
  • अम्लक्षार एवं लवण (Acids, Bases and Salts)
  • विलयन (solution)
  • कार्बन तथा उसके यौगिक (Carbon and its compounds)
  • ईंधन के प्रकार (Types of fuel)
  • उत्प्रेरक क्या है? what is Catalyst ?
  • धातु और गैर धातु क्या है ? what is Metals and non metals
  • मानव निर्मित पदार्थ ? Man made material ?
  • रसायन विज्ञान की महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर  (Important Chemistry Questions)
  • अन्य जानकारी

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      परमाणु संरचना (Atomic structure)      परमाणु, तत्व का वह सबसे छोटा कण है, जो किसी रासायनिक क्रिया में भाग ले सकता है लेकिन स्वतंत्र रूप से नहीं रह सकता है | द्रव, ठोस व गैस सभी पदार्थों का निर्माण परमाणुओं (Atoms) से ही होता है | परमाणु आपस में मिलकर अणुओं (Molecules) का निर्माण करते हैं | तत्व या यौगिक का वह सबसे छोटा कण है, जो स्वतंत्र अवस्था में रह सकता है अणु कहलाता है | परमाणु, तत्व का वह सबसे छोटा कण है, जो किसी रासायनिक क्रिया में भाग ले सकता है लेकिन स्वतंत्र रूप से नहीं रह सकता है | द्रव, ठोस व गैस सभी पदार्थों का निर्माण परमाणुओं (Atoms) से ही होता है | परमाणु आपस में मिलकर अणुओं (Molecules) का निर्माण करते हैं | तत्व या यौगिक का वह सबसे छोटा कण है, जो स्वतंत्र अवस्था में रह सकता है अणु कहलाता है | परमाणु ग्रीक भाषा का शब्द है जिसका मतलब होता है “जिसे तोडा न जा सके ” , क्योंकि जब परमाणु की खोज हुई थी तब इसे सबसे छोटा कण माना गया था और माना गया था की परमाणु को तोडा नहीं जा सकता अर्थात इसी से सब चीजो का निर्माण हुआ है , यह सबसे छोटी इकाई माना गया। लेकिन बाद में जब इलेक्ट्रान

    तत्वों का आवर्त वर्गीकरण (Periodic classification of elements)

      तत्वों का आवर्त वर्गीकरण (Periodic classification of elements) आवर्ती वर्गीकरण ( Periodic Classification):  किसी मौलिक गुण को आधार बनाकर की गई पदार्थों की ऐसी व्यवस्था जिसमें निश्चित अंतराल के बाद समान गुण वाले पदार्थ पुनः उपस्थित हों, आवर्ती व्यवस्था या आवर्ती वर्गीकरण कहलाती है। तत्वों के वर्गीकरण का मुख्य उद्देश्य समान गुणों वाले तत्वों को एक वर्ग में रखकर रसायनशास्त्र के अध्ययन को सरल, सुविधाजनक, सुस्पष्ट एवं क्रमबद्ध बनाना है। तत्वों के वर्गीकरण का इतिहास:   19वीं शताब्दी में तत्वों के वर्गीकरण के कई प्रयास किये गए जिनमें प्राउट की परिकल्पना, डोबरेनर का त्रिक सिद्धांत, डूमा की सममूलक श्रेणी, न्यूलैण्डस का अष्टक नियम, लोथर-मेयर का परमाणु आयतन तथा परमाणु भार वक्र, मेडलीफ का आवर्त नियम आदि प्रमुख हैं। तत्वों के वर्गीकरण के इन प्रारम्भिक प्रयासों में तत्वों के परमाणु भार (Atomic weight) को वर्गीकरण का आधार बनाया गया। लेकिन  डोबरेनर  का  त्रिक सिद्धांत  कुछ ही तत्वों तक सीमित रहने के कारण विश्वव्यापी मान्यता प्राप्त नहीं कर सका। अतः कुछ समय पश्चात् तत्वों के वर्गीकरण की यह पद्धति त्य

    अम्ल, क्षार एवं लवण (Acids, Bases and Salts)

      अम्ल, क्षार एवं लवण (Acids, Bases and Salts) किसी भी भोजन का अच्छा स्वाद हमारे जिंदगी को भी स्वादिष्ट बना देता है। सभी प्रकार के भोजन में कोई न कोई taste अवश्य होता है। ये स्वाद या तो खट्टे, मीठे या नमकीन होते हैं। भोजन में खट्टेपन का स्वाद उसमें Acid की उपस्थिति के कारण होता है, जबकि भोजन का नमकीन स्वाद उसमें उपस्थित Salt के कारण होता है। Cold drinks का bitter स्वाद उसमें उपस्थित Base के कारण होता है। अर्थात भोजन का तरह तरह का स्वाद उसमें acid, salt, या base की उपस्थिति के कारण होता है। Acids (अम्ल) Acids का स्वाद खट्टा (sour) होता है। इसी कारण भोजन या फल का स्वाद खट्टा होने का कारण उसमें acids की मौजूदगी के कारण होता है। Example (उदाहरण): Lemon (नींबु), curd (दही), tamarind (ईमली), unripe fruits (कच्चे फल) आदि कुछ सामान्य भोज्य पदार्थ हैं, जो प्राय: रोज घरों में उपयोग किये जाते हैं। इन सभी का स्वाद खट्टा होता है क्योंकि इन सभी में acid (अम्ल) पाये जाते हैं। रासायनिक पदार्थ जिन्हें उनके खट्टे स्वाद के कारण पहचाना जा सकता है, अम्ल (ACID) कहलाते हैं। Types of Acids: (अम्ल के प्रकार) श

    रासायनिक बंधन क्या होता है ? यहाँ जाने | what is Chemical bond ? Know here

      रासायनिक बंधन (Chemical bond) किसी अणु में परमाणुओं को बांधकर एक साथ रखने वाले बल को रासायनिक बंधन (Chemical bonding) कहते हैं जैसे हाइड्रोजन के दो परमाणु ऑक्सीजन की एक परमाणु के साथ रासायनिक बंध द्वारा जुड़कर जल का निर्माण करता है। रसायनिक बंधन की व्याख्या 1916 में Walther Kossel और Gilbert N. Lewis के द्वारा किया गया। Chemical Bond तीन प्रकार के होते होते हैं 1. विद्युत संयोजक बंध (Electrovalent bond) दो परमाणुओं के मध्य इलेक्ट्रॉन की स्थांतरण से बने बंध को electrovalent bond कहते हैं। यह विद्युत संयोजक बंधन और ऋण आवेश से बने होते हैं, द्रवणांक और क्वथनांक उच्च होता है, विद्युत आकर्षण बल से जुड़े होते हैं, ठोस अवस्था में विद्युत का कुचालक होते हैं विद्युत संयोजक बंध दिशाहीन होते हैं, जल में घुलनशील होते हैं, परंतु कार्बनिक घोल में अघुलनशील होते हैं तथा बहुत ही तेजी से रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेते हैं। 2. सहसंयोजक बंध ( Covalent bond ) ऐसा रसायनिक बंधन जिनका निर्माण दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉन के साझेदारी के कारण होता है उन्हें co-valent bond कहते हैं। जब दो परमाणुओं के बीच परम

    रसायन विज्ञान का अर्थ (Meaning of chemistry)

                    रसायन विज्ञान (केमिस्ट्री) विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत पदार्थों के गुण, संघटन, संरचना और उनमें होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है. केमिस्ट्रीअर्थात रसायन विज्ञान शब्द की उत्पत्ति मिस्र के प्राचीन शब्द कीमिया से हुई जिसका अर्थ है काला रंग. मिश्र के लोग काली मिट्टी को केमी कहते थे और प्रारंभ में रसायन विज्ञान के अध्ययन को केमीटेकिंग कहा जाता था. Lavoisier को रसायन विज्ञान का जनक कहा जाता है

    उत्प्रेरक क्या है? what is Catalyst ?

      उत्प्रेरक क्या है? what is Catalyst ? उत्प्रेरक का अर्थ या परिभाषा: उत्प्रेरक उस पदार्थ को कहते हैं जो किसी रासायनिक क्रिया के वेग को बदल दे, परंतु स्वयं क्रिया के अंत में अपरिवर्तित रहता है, अत: उसे पुन: काम में लाया जा सकता है। अधिकांश क्रियाओं में उत्प्रेरक प्रतिक्रिया की गति को बढ़ा देता है। ऐसे उत्प्रेरकों को धनात्मक उत्प्रेरक कहते है; परंतु कुछ ऐसे भी उत्प्रेरक है जो रासायनिक क्रिया की गति को मंद कर देते हैं। ऐसे उत्प्रेरक ऋणात्मक उत्प्रेरक कहलाते हैं। औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण रसायनों के निर्माण में उत्प्रेरकों की बहुत बड़ी भूमिका है क्योंकि इनके प्रयोग से अभिक्रिया की गति बढ जाती है जिससे अनेक प्रकार से आर्थिक लाभ होता है और उत्पादन तेज होता है। इसलिये उत्प्रेरण के क्षेत्र में अनुसंधान के लिये बहुत सा धन एवं मानव श्रम लगा हुआ है। उत्प्रेरक की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं: क्रिया के अंत में उत्प्रेरक अपरिवर्तित बच रहता है। उसके भौतिक संगठन में चाहे जो परिवर्तन हो जाएँ, परंतु उसके रासायनिक संगठन में कोई अंतर नहीं होता। उत्प्रेरक पदार्थ की केवल थोड़ी मात्रा ही पर्याप्त होती ह

    ऑक्सीकरण एवं अवकरण (Oxidation and degradation)

      ऑक्सीकरण एवं अवकरण (Oxidation and degradation) ऑक्सीकरण ( Oxidation)-  ऑक्सीकरण वह रासायनिक प्रक्रिया है, जिसके फलस्वरूप किसी तत्व या यौगिक में विद्युत् ऋणात्मक परमाणुओं या मूलकों का अनुपात बढ़ जाता है अथवा किसी यौगिक में विद्युत् धनात्मक परमाणुओं या मूलकों का अनुपात कम हो जाता है। उदाहरण- 2Mg + O 2  → 2MgO C + O 2  → CO 2 2H 2  + O 2  → 2H 2 O Cu + Cl 2  → CuCl 2 , H 2  + I 2  → 2HI 2FeCl 2  + Cl 2  → 2FeCl 3 अवकरण ( Reduction):  अवकरण वह रासायनिक प्रक्रिया है, जिसके फलस्वरूप किसी तत्व या यौगिक में विद्युत् धनात्मक परमाणुओं या मूलकों का अनुपात बढ़ जाता है अथवा किसी यौगिक में विद्युत् ऋणात्मक परमाणुओं या मूलकों का अनुपात कम हो जाता है। उदाहरण- Cl 2  + H 2 S → 2HCl + S 2FeCl 3  + 2 FeCl 2  + 2HCl आयनिक सिद्धान्त के आधार पर ऑक्सीकरण एवं अवकरण की परिभाषा ऑक्सीकरण ( Oxidation):   ऑक्सीकरण वह प्रक्रिया है, जिसके फलस्वरूप किसी आयन पर धन आवेश बढ़ जाता है या ऋण आवेश कम हो जाता है। उदाहरण- फेरस क्लोराइड (FeCl 2 ) से फेरिक क्लोराइड (FeCl 3 ) के बनने में फेरस आयन (Fe ++ ) बदलकर फेरिक आयन (Fe ++

    रसायन विज्ञान की महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर (Important Chemistry Questions)

      रसायन विज्ञान की महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर  (Important Chemistry Questions) 1. आतिशबाजी में हरा रंग किसकी उपस्थिति के कारण होता है. उत्तर. बेरियम 2. कौन-सी धातु रोशनी के बल्बों के फिलामेंट के रूप में प्रयुक्त होती है . उत्तर. टंगस्टन 3. सामान्य ट्यूबलाइट (प्र्तिदिप्ती बल्ब ) में ऑर्गन के साथ कौन-सी गैस भरी जाती है . उत्तर. मरकरी वेपर 4. संस्पर्श प्रक्रम में किसको एक उत्प्रेरक के रूप में प्रयोग किया जाता है . उत्तर. वैनेडियम पेंटाक्साइड 5. कृतकनाशी (रोडेंटनाशी) में किसका प्रयोग किया जाता है . उत्तर. जिंक फॉस्फाइड 6. क्लोरीन हैलोजन सदस्य का उपयोग किसके रूप में होता है. उत्तर. कीटाणुनाशक 7. किस विधि द्वारा औद्योगिक पैमाने पर अमोनिया का उत्पादन किया जाता है. उत्तर. हैबर विधि 8. किसने सर्वप्रथम आवर्त सारणी का निर्माण किया. उत्तर. मेंडेलीफ वैज्ञानिक 9. नाभिक से निकलने वाले विकिरणों में किसकी वेधन क्षमता सर्वाधिक होती है. उत्तर. गामा किरणों 10. फोटोग्राफी में किस योगिक प्रयोग किया जाता है. उत्तर. सिल्वर ब्रोमाइड रासायनिक 11. कृत्रिम वर्षा कराने में किसका प्रयोग किया जाता है. उत्तर. सिल्वर आयो