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रसायन विज्ञान का अर्थ (Meaning of chemistry)

          

    रसायन विज्ञान (केमिस्ट्री) विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत पदार्थों के गुण, संघटन, संरचना और उनमें होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है. केमिस्ट्रीअर्थात रसायन विज्ञान शब्द की उत्पत्ति मिस्र के प्राचीन शब्द कीमिया से हुई जिसका अर्थ है काला रंग. मिश्र के लोग काली मिट्टी को केमी कहते थे और प्रारंभ में रसायन विज्ञान के अध्ययन को केमीटेकिंग कहा जाता था. Lavoisier को रसायन विज्ञान का जनक कहा जाता है

पदार्थ एवं उसकी प्रकृति

प्रदार्थ:- दुनिया की कोई भी वस्तु जो स्थान घेरती हो, जिसका द्रव्यमान हो और जो अपनी संरचना के परिवर्तन का विरोध करती हो वो वस्तु प्रदार्थ कहलाते हैं. उदाहरण जल, हवा, मिट्टी इत्यादि. प्रारंभ में भारतीयों और यूनानियों का अनुमान था कि प्रकृति की सारी वस्तुएं पांच तत्वों के सहयोग से बनी है यह पांच तत्व है क्षितिज. जल, पावक, गगन और समीर. भारत के महान ऋषि कणाद के अनुसार सभी पदार्थ अत्यंत सूक्ष्म कणों से बने हैं जिसे परमाणू कहा जाता है.

पदार्थों का वर्गीकरण

पदार्थ को पहले दो भागों में बांटा गया है जिसको भौतिक वर्गीकरण कहते हैं और दूसरे को रासायनिक वर्गीकरण कहते हैं.

भौतिक वर्गीकरण को आगे तीन भागों में बांटा गया है जिसको ठोस, द्रव और गैस कहा जाता है.

रासायनिक वर्गीकरण को दो भागों में बांटा गया है जिसमें एक शुद्ध पदार्थ और दूसरा मिश्रण पदार्थ है.

शुद्ध पदार्थ को आगे दो भागों में बांटा गया है जिसको तत्व और यौगिक कहते हैं.

तत्वों को आगे दो भागों में बांटा गया है जिसको धात्विक और अधात्विक कहा जाता है.

यौगिक दो भागों में बांटा गया है जिसको कार्बनिक और अकार्बनिक कहा जाता है.

मिश्रण पदार्थ को भी दो भागों में बांटा गया है जिसको सम्मान और विषमांग कहते हैं.

ठोस पदार्थ:- पदार्थ की यह भौतिक अवस्था जिसका आकार एवं आयतन दोनों निश्चित हो ठोस पदार्थ कहलाता है जैसे लोहे की छड़, लकड़ी की कुर्सी, बर्फ का टुकड़ा इत्यादि.

द्रव पदार्थ:- यह पदार्थ की वह भौतिक अवस्था है जिसका आकार अनिश्चित एवं आयतन निश्चित हो द्रव पदार्थ कहलाता है. जैसे अल्कोहल, पानी, तारपीन का तेल, मिट्टी का तेल इत्यादि.

गैस पदार्थ:- यह पदार्थ की वह अवस्था है जिसका आकार और आयतन दोनों ही अनिश्चित होते हैं गैस पदार्थ कहलाता है. जैसे हवा ,ऑक्सीजन इत्यादि. गैस का कोई पृष्ठ नहीं होता है इसका विसरण बहुत अधिक होता है तथा इसे आसानी से संपीड़ित मतलब कंप्रेस किया जा सकता है.

ताप और दाब में परिवर्तन करके किसी भी पदार्थ की अवस्था को बदला जा सकता है परंतु इसके अपवाद भी है जैसे लकड़ी, पत्थर यह केवल ठोस अवस्था में ही रहते हैं.

जल तीनों भौतिक अवस्था में रह सकता है.

पदार्थ को तीनों भौतिक अवस्था में निमन रूप से साम्य होता है ठोस>द्रव>गैस. उदाहरण के लिए:- जल.

कुछ पदार्थ गर्म करने पर सीधे ठोस रूप से गैस बन जाते हैं इसे उधर्वपातन कहते हैं जिसको की इंग्लिश में Sublimation कहते हैं. जैसे आयोडीन, कपूर इत्यादि.

पदार्थ की चौथी अवस्था प्लाज्मा एवं पांचवी अवस्था बोस-आइंस्टाइन कडनसेट कहते हैं.

तत्व:- वह शुद्ध पदार्थ है जिसे किसी भी ज्ञात भौतिक एवं रसायनिक विधियों से न तो दो या दो से अधिक पदार्थों में विभाजित किया जा सकता है और ना ही अन्य सरल पदार्थों के योग से बनाया जा सकता है जैसे कि सोना, चांदी और ऑक्सीजन इत्यादि

योगिक (कंपाउंड):- यह शुद्ध पदार्थ जो रासायनिक रूप से 2 या 2 से अधिक तत्व के एक निश्चित अनुपात में रसायनिक संयोग से बने होते हैं योगीक या कंपाउंड कहलाते हैं. योगीक के गुण उनके अवयवी तत्वों के गुणों से भिन्न होता है. जैसे जल ऑक्सीजन और हाइड्रोजन से मिलकर बना हुआ होता है इस में आक्सीजन जलने में सहायक होता है और हाइड्रोजन खुद जलता है लेकिन इन दोनों का योगिक जल आग को बुझा देता है.

मिश्रण:- यह पदार्थ जो दो या दो से अधिक तत्वों या योगीको के किसी भी अनुपात में मिलाने से प्राप्त होता है मिश्रण कहलाता है. इसे सरल यांत्रिक विधि द्वारा दोबारा प्रारंभिकअवयवों से प्राप्त किया जा सकता है जैसे हवा.

समांग मिश्रण (Homogeneous Mixture):- निश्चित अनुपात के अवयव को मिलाने से संभाग मिश्रण का निर्माण होता है. इसके प्रत्येक भाग में गुण धर्म एक समान होते हैं जैसे चीनी या नमक का जलीय विलियन इत्यादि.

विषमांग मिश्रण(Heterogeneous Mixture):- अनिश्चित अनुपात के अवयव को मिलाने से विषमांग मिश्रण का निर्माण होता है इसके प्रत्येक भाग के गुण और उनके संघटक भिन्न-भिन्न होते हैं जैसे बारुद, कुहासा इत्यादि.

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मिश्रण को अलग करने के कुछ विधियां

रवाकरण:- इस विधि के द्वारा अकार्बनिक ठोस मिश्रण को अलग किया जाता है. इस विधि में अशुद्ध ठोस मिश्रण को उचित विलायक के साथ मिलाकर गर्म किया जाता है तथा गरम अवस्था में ही कीप द्वारा छान लिया जाता है. छानने के बाद विलियन को कम ताप पर धीरे-धीरे ठंडा किया जाता है. ठंडा होने पर शुद्ध पदार्थ क्रिस्टल के रूप में विलियन से पृथक हो जाते हैं जैसे शर्करा और नमक के मिश्रण को इथाइल अल्कोहल में 348 केल्विन ताप पर गर्म कर इस विधि द्वारा अलग किया जाता है.

आसवन विधि:- जब दो द्रव्यों के क्वथनांक में अंतर अधिक होता है तो उसके मिश्रण को आसवन विधि से पृथक किया जाता है. मतलब यह द्रवों के मिश्रण को अलग करने की विधि है. इसका प्रथम भाग वाष्पीकरण और दूसरा भाग संघनन कहलाता है.

उधर्वपातन:- इस विधि के द्वारा दो ऐसे ठोसों के मिश्रण को अलग करते हैं जिसमें एक ठोस उर्ध्र्वपातीत हो और दूसरा नहीं. इस विधि से कपूर, नेफ्थलीन, अमोनियम क्लोराइड को अलग किया जाता है.

आंशिक आसवन:- इस विधि से वैसे मिश्रित द्रवों को अलग करते हैं जिसमें क्वथनांक में बहुत कम अंतर होता है खनिज तेल या कच्चे तेल में से शुद्ध डीजल, पेट्रोल, मिट्टी तेल, कोलतार इत्यादि इसी विधि के द्वारा अलग किए जाते हैं.

वर्णलेखन:- यह विधि इस तथ्य पर आधारित है कि किसी मिश्रण के विभिन्न घटकों का अवशोषण क्षमता भिन्न भिन्न होती है तथा वह किसी अधिशोषिक पदार्थ में विभिन्न दूरियों पर अवशोषित होते हैं इस प्रकार वह पृथक कर लिए जाते हैं जिसको वर्णलेखन विधि कहा जाता है.

भाप आसवन:- इस विधि से कार्बनिक मिश्रण को शुद्ध किया जाता है जो जल में अघुलनशील होते हैं. परंतु भाप के साथ वाष्पशील होता है. इस विधि द्वारा विशेष रूप से उन पदार्थों का शुद्धिकरण किया जाता है जो अपने क्वथनांक पर अपघटित हो जाते हैं जैसे एसीटोन, मेथिल, अल्कोहल इत्यादि

पदार्थ की अवस्था परिवर्तन

द्रवणांक:- गर्म करने पर जब ठोस पदार्थ द्रव अवस्था में परिवर्तित होते हैं तो उनमें से अधिकांश में यह परिवर्तन एक विशेष दाब पर या एक नियत ताप पर होता है, यह नियत ताप वस्तु का द्रवणांक कहलाता है. जब तक पदार्थ गलता रहता है तब तक ताप स्थिर रहता है यदि विशेष दाब नियत रहे.

हिमांक:- किसी विशेष दाब पर या नियत ताप जिस पर कोई द्रव जमता है हिमांक कहलाता है.

  • सामान्यत पदार्थ का द्रवणांक एवं हिमांक का मान बराबर होता है जैसे बर्फ का द्रवणांक और हिमांक शून्य डिग्री सेल्सियस है.
  • अशुद्धियों की उपस्थिति में पदार्थ का हिमांक और द्रवणांक दोनों कम हो जाता है.
  • द्रवणांक का प्रभाव:-

  • 1. उन पदार्थों के द्रवणांक दाब बढ़ाने पर बढ़ जाते हैं जिनका आयतन गलने पर बढ़ जाता है जैसे मोम, तांबा इत्यादि.
  • 2. उन पदार्थों के द्रवणांक दाब बढ़ने पर घट जाता है जिन का आयतन गलने पर घट जाता है जैसे बर्फ, ढलवां लोहा इत्यादि.
  • गले तथा जमने पर आयतन में परिवर्तन:-

  • क्रिस्टलीय पदार्थों में से अधिकांश पर पदार्थ गलने पर आयतन में बढ़ जाते हैं ऐसी दशा में ठोस अपने ही गले हुए द्रव में डूब जाता है.
  • ढला हुआ लोहा, बर्फ, एंटीमनी, पीतल आदि गलने पर आयतन में सिकुड़ते हैं. अतः इस प्रकार के ठोस अपने ही गले द्रव में प्लवन करने लगते हैं, इसी विशेष गुण के कारण बर्फ का टुकड़ा गले हुए पानी में प्लवन करता है.
  • सांचे में केवल वे पदार्थ ढाले जा सकते हैं जो ठोस बनने पर आयतन में बढ़ते हैं क्योंकि तभी वे सांचे के आकार को पूर्णता प्राप्त कर सकते हैं.
  • मुद्रण धातु ऐसे पदार्थ से बने होते हैं, जो जमने पर आयतन में बढ़ते हैं.
  • चांदी और सोने की मुद्राएं ढाली नहीं जाती, ये केवल मुहर लगाकर बनाई जाती है.
  • मिश्र धातुओ का द्रवणांक उन्हें बनाने वाले पदार्थ के गलनांक से कम होता है क्योंकि अशुद्धियां डाल देने पर पदार्थ का गलनाक घट जाता है.
  • हिमकारी मिश्रण:- किसी ठोस को उसके द्रवणांक पर गलने के लिए ऊष्मा की आवश्यकता होगी जो उसकी गुप्त ऊष्मा होगी. यह ऊष्मा साधारणत बाहर से मिलती है जैसे जल में बर्फ का टुकड़ा मिलाने पर बर्फ गलेगी परंतु करने के लिए द्रवणांक पर वह जल से ऊष्मा लेगी जिससे जल का तापमान घटने लगेगा और मिश्रण का ताप घट जाएगा. हिमकारी मिश्रण का बनना इसी सिद्धांत पर आधारित है. उदाहरण:- घर पर आइसक्रीम जमाने के लिए नमक का एक भाग और बर्फ का 3 भाग मिलाया जाता है और इससे मिश्रण का ताप -22 डिग्री प्राप्त होता है.

    वाष्पीकरण:-

  • द्रव से वाष्प में परिणत होने की क्रिया वाष्पीकरण कहलाती है. यह दो प्रकार की होती है वाष्पन और क्वथन.
  • क्वथनांक से कम तापमान पर द्रव के वाष्प में परिवर्तन होने की प्रक्रिया को वाष्पन कहते हैं.
  • वाष्पन की क्रिया कुछ बातों पर निर्भर करती है:-

    क्वथनांक का कम होना:- क्वथनांक जितना कम होगा वाष्पन की क्रिया उतनी ही अधिक तेजी से होगी.

    द्रव का ताप:- द्रव का ताप अधिक होने से वाष्पन अधिक होगा.

    द्रवों के खुले पृष्ठ का क्षेत्रफल:- क्षेत्रफल अधिक होने पर वाष्पन तेजी से होगा.

    द्रव के पृष्ठ पर:-

  • द्रव के पृष्ठ पर वायु बदलने पर वाष्पन तेज होगा.
  • द्रव के पृष्ठ पर वायु का दाब जितना ही कम होगा वाष्पन उतनी ही तेजी से होगा.
  • द्रव के पृष्ठ पर वाष्प दाब जितना बढ़ेगा वाष्पन की दर उतनी ही घटती जाएगी.
  • क्वथनांक:-

  • दाब के किसी दिए हुए नियत मान के लिए वह नियत ताप जिस पर कोई द्रव उबलकर द्रव अवस्था से वाष्प की अवस्था में परिणत हो जाए उस नियत ताप को द्रव का क्वथनांक कहते हैं.
  • दाब बढ़ने पर द्रव का क्वथनांक तक बढ़ जाता है और दाब घटने पर द्रव का क्वथनांक घट जाता है.




  • परमाणु संरचना (Atomic structure)
  • गैसों के नियम (Gases law)
  • तत्वों का आवर्त वर्गीकरण (Periodic classification of elements)
  • रासायनिक बंधन (Chemical bond)
  • ऑक्सीकरण एवं अवकरण (Oxidation and degradation)
  • अम्लक्षार एवं लवण (Acids, Bases and Salts)
  • विलयन (solution)
  • कार्बन तथा उसके यौगिक (Carbon and its compounds)
  • ईंधन के प्रकार (Types of fuel)
  • उत्प्रेरक क्या है? what is Catalyst ?
  • धातु और गैर धातु क्या है ? what is Metals and non metals
  • मानव निर्मित पदार्थ ? Man made material ?
  • रसायन विज्ञान की महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर  (Important Chemistry Questions)
  • अन्य जानकारी

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    धातु और गैर धातु क्या है ? what is Metals and non metals? धातु सायनशास्त्र के अनुसार धातु (metals) वे तत्व हैं जो सरलता से इलेक्ट्रान त्याग कर धनायन बनाते हैं और धातुओं के परमाणुओं के साथ धात्विक बंध बनाते हैं। इलेक्ट्रानिक मॉडल के आधार पर, धातु इलेक्ट्रानों द्वारा आच्छादित धनायनों का एक लैटिस हैं। धातुओं की पारम्परिक परिभाषा उनके बाह्य गुणों के आधार पर दी जाती है। सामान्यतः धातु चमकीले, प्रत्यास्थ, आघातवर्धनीय और सुगढ होते हैं। धातु उष्मा और विद्युत के अच्छे चालक होते हैं जबकि अधातु सामान्यतः भंगुर, चमकहीन और विद्युत तथा ऊष्मा के कुचालक होते हैं। रासायनिक तत्वों को सर्वप्रथम धातुओं और अधातुओं में विभाजित किया गया, यद्यपि दोनों समूहों को बिल्कुल पृथक्‌ नहीं किया जा सकता था। धातु की परिभाषा करना कठिन कार्य है। मोटे रूप से हम कह सकते हैं कि यदि किसी तत्व में निम्नलिखित संपूर्ण या कुछ गुण हों तो उसे धातु कहेंगे : चमक, परांधता, साधारण ताप पर ठोस, स्वच्छ सतह द्वारा प्रकाश के परावर्तन (Reflection) का गुण, ऊष्मा एवं विद्युत्‌ की उत्तम चालकता, एवं द्रव अवस्था से ठंण्डा करने पर क्रिस्टल रूप में

    गैसों के नियम (Gases law)

      गैसों के नियम (Gases law)      गैसों के नियम , आदर्श गैस का नियम : अलग अलग वैज्ञानिकों ने अलग अलग प्रयोग किये और अपने प्रयोगों के आधार पर गैसों के लिए अलग अलग नियम दिए और ये नियम गैस के लिए अलग अलग राशि पर आधारित है अर्थात कुछ नियम गैस के लिए दाब से सम्बंधित है , कुछ नियम गैस के लिए आयतन और कुछ ताप से सम्बन्धित है। एवोगेड्रो का नियम इस नियम में बताया गया कि सभी आदर्श गैस समान ताप एवं दाब पर सभी गैसों के समान आयतन में अणुओं की संख्या समान होती है. इस नियम को 1811 में इटालियन रसायन वैज्ञानिक Amedeo Avogadro ने बताया था. बॉयल का नियम स्थिर ताप किसी भी गैस की निश्चित मात्रा का आयतन उसके दाब के व्युँताक्र्मानुपाती होता है. स्थिर ताप पर गैस का दाब बढ़ाने पर आयतन घटता है और दाब घटाने पर आयतन बढ़ता है. इस नियम को R. Boyle ने 1662 में बताया था और इसके बाद में 1676 में E. Mariotte ने भी इसके बारे में जिक्र किया चार्ल्स का नियम स्थिर ताप पर किसी भी गैस के निश्चित मात्रा का आयतन उसके परमताप के अनुक्रमानुपाती होता है. (परमताप T= 273० +t०C ). स्थिर ताप पर यदि गैस का ताप बढ़ाया जाए तो उसका आयतन बढ़

    परमाणु संरचना (Atomic structure)

      परमाणु संरचना (Atomic structure)      परमाणु, तत्व का वह सबसे छोटा कण है, जो किसी रासायनिक क्रिया में भाग ले सकता है लेकिन स्वतंत्र रूप से नहीं रह सकता है | द्रव, ठोस व गैस सभी पदार्थों का निर्माण परमाणुओं (Atoms) से ही होता है | परमाणु आपस में मिलकर अणुओं (Molecules) का निर्माण करते हैं | तत्व या यौगिक का वह सबसे छोटा कण है, जो स्वतंत्र अवस्था में रह सकता है अणु कहलाता है | परमाणु, तत्व का वह सबसे छोटा कण है, जो किसी रासायनिक क्रिया में भाग ले सकता है लेकिन स्वतंत्र रूप से नहीं रह सकता है | द्रव, ठोस व गैस सभी पदार्थों का निर्माण परमाणुओं (Atoms) से ही होता है | परमाणु आपस में मिलकर अणुओं (Molecules) का निर्माण करते हैं | तत्व या यौगिक का वह सबसे छोटा कण है, जो स्वतंत्र अवस्था में रह सकता है अणु कहलाता है | परमाणु ग्रीक भाषा का शब्द है जिसका मतलब होता है “जिसे तोडा न जा सके ” , क्योंकि जब परमाणु की खोज हुई थी तब इसे सबसे छोटा कण माना गया था और माना गया था की परमाणु को तोडा नहीं जा सकता अर्थात इसी से सब चीजो का निर्माण हुआ है , यह सबसे छोटी इकाई माना गया। लेकिन बाद में जब इलेक्ट्रान

    तत्वों का आवर्त वर्गीकरण (Periodic classification of elements)

      तत्वों का आवर्त वर्गीकरण (Periodic classification of elements) आवर्ती वर्गीकरण ( Periodic Classification):  किसी मौलिक गुण को आधार बनाकर की गई पदार्थों की ऐसी व्यवस्था जिसमें निश्चित अंतराल के बाद समान गुण वाले पदार्थ पुनः उपस्थित हों, आवर्ती व्यवस्था या आवर्ती वर्गीकरण कहलाती है। तत्वों के वर्गीकरण का मुख्य उद्देश्य समान गुणों वाले तत्वों को एक वर्ग में रखकर रसायनशास्त्र के अध्ययन को सरल, सुविधाजनक, सुस्पष्ट एवं क्रमबद्ध बनाना है। तत्वों के वर्गीकरण का इतिहास:   19वीं शताब्दी में तत्वों के वर्गीकरण के कई प्रयास किये गए जिनमें प्राउट की परिकल्पना, डोबरेनर का त्रिक सिद्धांत, डूमा की सममूलक श्रेणी, न्यूलैण्डस का अष्टक नियम, लोथर-मेयर का परमाणु आयतन तथा परमाणु भार वक्र, मेडलीफ का आवर्त नियम आदि प्रमुख हैं। तत्वों के वर्गीकरण के इन प्रारम्भिक प्रयासों में तत्वों के परमाणु भार (Atomic weight) को वर्गीकरण का आधार बनाया गया। लेकिन  डोबरेनर  का  त्रिक सिद्धांत  कुछ ही तत्वों तक सीमित रहने के कारण विश्वव्यापी मान्यता प्राप्त नहीं कर सका। अतः कुछ समय पश्चात् तत्वों के वर्गीकरण की यह पद्धति त्य

    अम्ल, क्षार एवं लवण (Acids, Bases and Salts)

      अम्ल, क्षार एवं लवण (Acids, Bases and Salts) किसी भी भोजन का अच्छा स्वाद हमारे जिंदगी को भी स्वादिष्ट बना देता है। सभी प्रकार के भोजन में कोई न कोई taste अवश्य होता है। ये स्वाद या तो खट्टे, मीठे या नमकीन होते हैं। भोजन में खट्टेपन का स्वाद उसमें Acid की उपस्थिति के कारण होता है, जबकि भोजन का नमकीन स्वाद उसमें उपस्थित Salt के कारण होता है। Cold drinks का bitter स्वाद उसमें उपस्थित Base के कारण होता है। अर्थात भोजन का तरह तरह का स्वाद उसमें acid, salt, या base की उपस्थिति के कारण होता है। Acids (अम्ल) Acids का स्वाद खट्टा (sour) होता है। इसी कारण भोजन या फल का स्वाद खट्टा होने का कारण उसमें acids की मौजूदगी के कारण होता है। Example (उदाहरण): Lemon (नींबु), curd (दही), tamarind (ईमली), unripe fruits (कच्चे फल) आदि कुछ सामान्य भोज्य पदार्थ हैं, जो प्राय: रोज घरों में उपयोग किये जाते हैं। इन सभी का स्वाद खट्टा होता है क्योंकि इन सभी में acid (अम्ल) पाये जाते हैं। रासायनिक पदार्थ जिन्हें उनके खट्टे स्वाद के कारण पहचाना जा सकता है, अम्ल (ACID) कहलाते हैं। Types of Acids: (अम्ल के प्रकार) श

    रासायनिक बंधन क्या होता है ? यहाँ जाने | what is Chemical bond ? Know here

      रासायनिक बंधन (Chemical bond) किसी अणु में परमाणुओं को बांधकर एक साथ रखने वाले बल को रासायनिक बंधन (Chemical bonding) कहते हैं जैसे हाइड्रोजन के दो परमाणु ऑक्सीजन की एक परमाणु के साथ रासायनिक बंध द्वारा जुड़कर जल का निर्माण करता है। रसायनिक बंधन की व्याख्या 1916 में Walther Kossel और Gilbert N. Lewis के द्वारा किया गया। Chemical Bond तीन प्रकार के होते होते हैं 1. विद्युत संयोजक बंध (Electrovalent bond) दो परमाणुओं के मध्य इलेक्ट्रॉन की स्थांतरण से बने बंध को electrovalent bond कहते हैं। यह विद्युत संयोजक बंधन और ऋण आवेश से बने होते हैं, द्रवणांक और क्वथनांक उच्च होता है, विद्युत आकर्षण बल से जुड़े होते हैं, ठोस अवस्था में विद्युत का कुचालक होते हैं विद्युत संयोजक बंध दिशाहीन होते हैं, जल में घुलनशील होते हैं, परंतु कार्बनिक घोल में अघुलनशील होते हैं तथा बहुत ही तेजी से रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेते हैं। 2. सहसंयोजक बंध ( Covalent bond ) ऐसा रसायनिक बंधन जिनका निर्माण दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉन के साझेदारी के कारण होता है उन्हें co-valent bond कहते हैं। जब दो परमाणुओं के बीच परम

    उत्प्रेरक क्या है? what is Catalyst ?

      उत्प्रेरक क्या है? what is Catalyst ? उत्प्रेरक का अर्थ या परिभाषा: उत्प्रेरक उस पदार्थ को कहते हैं जो किसी रासायनिक क्रिया के वेग को बदल दे, परंतु स्वयं क्रिया के अंत में अपरिवर्तित रहता है, अत: उसे पुन: काम में लाया जा सकता है। अधिकांश क्रियाओं में उत्प्रेरक प्रतिक्रिया की गति को बढ़ा देता है। ऐसे उत्प्रेरकों को धनात्मक उत्प्रेरक कहते है; परंतु कुछ ऐसे भी उत्प्रेरक है जो रासायनिक क्रिया की गति को मंद कर देते हैं। ऐसे उत्प्रेरक ऋणात्मक उत्प्रेरक कहलाते हैं। औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण रसायनों के निर्माण में उत्प्रेरकों की बहुत बड़ी भूमिका है क्योंकि इनके प्रयोग से अभिक्रिया की गति बढ जाती है जिससे अनेक प्रकार से आर्थिक लाभ होता है और उत्पादन तेज होता है। इसलिये उत्प्रेरण के क्षेत्र में अनुसंधान के लिये बहुत सा धन एवं मानव श्रम लगा हुआ है। उत्प्रेरक की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं: क्रिया के अंत में उत्प्रेरक अपरिवर्तित बच रहता है। उसके भौतिक संगठन में चाहे जो परिवर्तन हो जाएँ, परंतु उसके रासायनिक संगठन में कोई अंतर नहीं होता। उत्प्रेरक पदार्थ की केवल थोड़ी मात्रा ही पर्याप्त होती ह

    ऑक्सीकरण एवं अवकरण (Oxidation and degradation)

      ऑक्सीकरण एवं अवकरण (Oxidation and degradation) ऑक्सीकरण ( Oxidation)-  ऑक्सीकरण वह रासायनिक प्रक्रिया है, जिसके फलस्वरूप किसी तत्व या यौगिक में विद्युत् ऋणात्मक परमाणुओं या मूलकों का अनुपात बढ़ जाता है अथवा किसी यौगिक में विद्युत् धनात्मक परमाणुओं या मूलकों का अनुपात कम हो जाता है। उदाहरण- 2Mg + O 2  → 2MgO C + O 2  → CO 2 2H 2  + O 2  → 2H 2 O Cu + Cl 2  → CuCl 2 , H 2  + I 2  → 2HI 2FeCl 2  + Cl 2  → 2FeCl 3 अवकरण ( Reduction):  अवकरण वह रासायनिक प्रक्रिया है, जिसके फलस्वरूप किसी तत्व या यौगिक में विद्युत् धनात्मक परमाणुओं या मूलकों का अनुपात बढ़ जाता है अथवा किसी यौगिक में विद्युत् ऋणात्मक परमाणुओं या मूलकों का अनुपात कम हो जाता है। उदाहरण- Cl 2  + H 2 S → 2HCl + S 2FeCl 3  + 2 FeCl 2  + 2HCl आयनिक सिद्धान्त के आधार पर ऑक्सीकरण एवं अवकरण की परिभाषा ऑक्सीकरण ( Oxidation):   ऑक्सीकरण वह प्रक्रिया है, जिसके फलस्वरूप किसी आयन पर धन आवेश बढ़ जाता है या ऋण आवेश कम हो जाता है। उदाहरण- फेरस क्लोराइड (FeCl 2 ) से फेरिक क्लोराइड (FeCl 3 ) के बनने में फेरस आयन (Fe ++ ) बदलकर फेरिक आयन (Fe ++

    रसायन विज्ञान की महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर (Important Chemistry Questions)

      रसायन विज्ञान की महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर  (Important Chemistry Questions) 1. आतिशबाजी में हरा रंग किसकी उपस्थिति के कारण होता है. उत्तर. बेरियम 2. कौन-सी धातु रोशनी के बल्बों के फिलामेंट के रूप में प्रयुक्त होती है . उत्तर. टंगस्टन 3. सामान्य ट्यूबलाइट (प्र्तिदिप्ती बल्ब ) में ऑर्गन के साथ कौन-सी गैस भरी जाती है . उत्तर. मरकरी वेपर 4. संस्पर्श प्रक्रम में किसको एक उत्प्रेरक के रूप में प्रयोग किया जाता है . उत्तर. वैनेडियम पेंटाक्साइड 5. कृतकनाशी (रोडेंटनाशी) में किसका प्रयोग किया जाता है . उत्तर. जिंक फॉस्फाइड 6. क्लोरीन हैलोजन सदस्य का उपयोग किसके रूप में होता है. उत्तर. कीटाणुनाशक 7. किस विधि द्वारा औद्योगिक पैमाने पर अमोनिया का उत्पादन किया जाता है. उत्तर. हैबर विधि 8. किसने सर्वप्रथम आवर्त सारणी का निर्माण किया. उत्तर. मेंडेलीफ वैज्ञानिक 9. नाभिक से निकलने वाले विकिरणों में किसकी वेधन क्षमता सर्वाधिक होती है. उत्तर. गामा किरणों 10. फोटोग्राफी में किस योगिक प्रयोग किया जाता है. उत्तर. सिल्वर ब्रोमाइड रासायनिक 11. कृत्रिम वर्षा कराने में किसका प्रयोग किया जाता है. उत्तर. सिल्वर आयो